कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथियों ने बांग्लादेशियों और मुसलमानों को इस प्रकार से अपना घर जमाई बना लिया है कि अब वे रामकृष्ण मिशन के साधुओं को भी सरेआम पीटने लगे हैं। प्रस्तुत चित्र में रामकृष्ण मिशन के स्वामी पुण्यलोकानन्दजी महाराज को दक्षिण 24 परगना जिले में सीपीएम के गुंडों और स्थानीय मुसलमानों ने पेड़ से बाँधकर पीटा। कोई भी उन्हें बचाने आगे नहीं आया क्योंकि सीपीएम के गुण्डे हथियारबन्द थे (हमेशा रहते हैं), और एक स्थानीय बांग्लादेशी घुसपैठिया अब्दुल अली ने अपने मुस्लिम साथियों की मदद से स्वामी जी को लोहे के सरिये से पीटा। जब स्वामी जी बेहोश हो गये और भीड़ छँट गई तब उनके अनुयायियों ने उन्हें अस्पताल में भरती करवाया जहाँ उनके सिर का सीटी स्कैन करवाया गया। (चित्र में देखें…)


सवाल है कि - यदि किसी मौलवी को गुजरात में इस तरह पेड़ से बाँधकर पीटा जाता तो क्या-क्या होता? जवाब संक्षिप्त में दें… यह तो मैं भी जानता हूँ कि मामला संयुक्त राष्ट्र तक भी पहुँच सकता था, या जिस तरह से ग्राहम स्टेंस की बीबी को “भारत के प्रति योगदान” के लिये पद्मश्री दी गई ऐसा ही उस मौलवी की बीबी को सोनिया की ओर कुछ मिल जाता। क्या यह खबर आपने किसी सबसे तेज चैनल पर देखी है? हिन्दुओं की नपुंसकता के चलते, 2025 से पहले भारत का प्रधानमंत्री (सॉरी प्रधानमंत्री पद तो गाँधी परिवार के लिये आरक्षित है) / गृहमंत्री कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया मुसलमान होगा, क्या अब भी आपको इसमें शक है?